नव वर्षस्य शुभाशया!
Posted On बुधवार, 28 दिसंबर 2011 at by Smart Indianहम होंगे क़ामयाब एक दिन
Posted On रविवार, 25 दिसंबर 2011 at by Smart Indianगीत, कैरीओकी, विडियो और शब्द सब एक साथ
प्रभु यीशु के जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ!
प्रेरक गीत - हम होंगे क़ामयाब एक दिन ...
कैरीओकी संस्करण विडियो
होंगे क़ामयाब होंगे क़ामयाब
हम होंगे क़ामयाब एक दिन
हो हो मन मे है विश्वास
पूरा है विश्वास हम होंगे क़ामयाब एक दिन
होगी शांति चारो ओर
होगी शांति चारो ओर
होगी शांति चारो ओर एक दिन
हो हो मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास होगी शांति चारो ओर एक दिन
हम चलेंगे साथ साथ
डाले हाथोमें हाथ
हम चलेंगे साथ साथ एक दिन हो हो मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास हम चलेंगे साथ साथ एक दिन
नहीं डर किसी का आज
नहीं भय किसी का आज
नहीं डर किसी का आज के दिन
हो हो मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास नही डर किसी का आज के दिन
होंगे क़ामयाब होंगे क़ामयाब
हम होंगे क़ामयाब एक दिन
हो हो मन मे है विश्वास
पूरा है विश्वास हम होंगे क़ामयाब एक दिन
हम होंगे क़ामयाब एक दिन
हम होंगे क़ामयाब एक दिन
विदा भूपेन हज़ारिका
Posted On शनिवार, 5 नवंबर 2011 at by Smart Indian![]() |
महान संगीतकार भूपेन हज़ारिका |
पद्म भूषण व दादा साहेब फ़ाल्के जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित भूपेन हज़ारिका 8 सितम्बर 1926 को गुवाहाटी में जन्मे थे। 1939 में उन्होंने असमी भाषा की फ़िल्म इन्द्रामती में एक गीत गाया था। उनका नवीनतम गायन फ़िल्म ‘गांधी टू हिटलर’ में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन ‘वैश्नव जन’ था।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षित और 1952 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से पीएचडी की उपाधि प्राप्त हज़ारिका ने भारत में प्रौढ शिक्षा में दृश्य-श्रव्य तकनीक के प्रयोग पर थीसिस प्रस्तुत की थी। वे असम संस्कृति और लोकसंगीत के अच्छे जानकार माने जाते रहे है।
दिवंगत आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए प्रस्तुत है उनके संगीत निर्देशन में 1974 की फ़िल्म आरोप का एक लोकप्रिय गीत लता मंगेशकर व किशोर कुमार के स्वर में
नयनों में दर्पण है, दर्पण में कोई, देखूं जिसे सुबहो शाम
===================
सम्बन्धित कड़ियाँ
===================
* भूपेन हजारिका की जीवनी - रेडियोवाणी पर
नहीं जाना कुँवर जी - पीनाज़ मसानी
Posted On गुरुवार, 20 अक्टूबर 2011 at by Smart Indianफ़िल्म: अमीर आदमी ग़रीब आदमी (1985)
शब्द: निदा फ़ाज़ली; संगीत राहुलदेव बर्मन
![]() |
गायिका पीनाज़ मसानी |
कोई भर ले न तोहे नजरिया में
नहीं जाना कुँवर जी बजरिया में
छल बल दिखाके न कोई रिझाले
पल्लू गिराके न कोई बुलाले
निकला करो न अन्धेरे उजाले
लाखों सौतन फिरत हैं नगरिया में
कोई भर ले न तोहे नजरिया में
नहीं जाना कुँवर जी बजरिया में
बाहर से पायल बजा के बुलाऊँ
अंदर से बाहों की सांकल लगाऊँ
तुझको ही ओढूँ तुझी को बिछाऊँ
तोहे आंचल सा SSS
तोहे आंचल सा कस लूं कमरिया में
नहीं जाना कुँवर जी बजरिया में
तेरे उजालों को गालों में रक्खूं
हर पल तुझी को खयालों में रक्खूं
तोहे पानी सा भर लूं गगरिया में
नहीं जाना कुँवर जी बजरिया में
===============
सम्बन्धित कड़ियाँ
===============
* अनुरागी मन - कहानी
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा
Posted On शनिवार, 13 अगस्त 2011 at by Smart Indianअल्लामा इक़बाल की सर्वप्रिय रचना
===========================
सम्बन्धित कड़ियाँ
===========================
* जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है
* हिंदुस्थान हमारा है
इब्न ए इंशा के जन्मदिन पर
Posted On मंगलवार, 14 जून 2011 at by Smart Indianतेरे इश्क़ में हमने जो खोया है जो पाया है
जो तुमने कहा और फैज़ ने जो फरमाया है
सब माया है, सब माया है।
आधुनिक कवियों में इब्न-ए-इंशा की रचनायें मुझे बहुत प्रिय हैं। अगर आज वे ज़िन्दा होते तो मैं एक सवाल ज़रूर पूछता कि जिन्ना जैसा संकीर्ण और स्वार्थी राजनीतिज्ञ पाकिस्तान गया तो गया, इंशा जैसे कवि क्या सोचकर पाकिस्तान गये? रेडिओ पाकिस्तान की नौकरी? कारण जो भी हो, उनके इस व्यक्तिगत निर्णय से उनकी रचनाओं की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पडता। हिन्दी (या उर्दू) के इस महान रचनाकार का जन्म फिल्लौर (पंजाब) में 15 जून 1927 को हुआ था।
उन्होने काव्य और गद्य दोनों ही लिखे और खूब लिखे। उनकी भाषा अरबी फारसी से भरी हुई नक़ली और किताबी उर्दू न होकर अमीर खुसरो की हिन्दी और हिन्दवी की याद दिलाने वाली वह देशज उर्दू भाषा है जो हर उस व्यक्ति को सहज ही अपनी लगेगी जिसकी मातृभाषा उर्दू (या हिन्दी) है। इतनी मधुर और काव्यमयी उर्दू कि आपको लश्करी ज़ुबान का अक्खडपन ढूंढे नहीं मिलेगा।
इंशा का वास्तविक नाम शेर मुहम्मद खान था। उनकी रचनाओं में निम्न के नाम उल्लेखनीय हैं:
इस बस्ती के इक कूचे में - काव्य संग्रह
चान्द नगर - काव्य संग्रह
नगरी नगरी फिरा मुसाफिर - यात्रा संस्मरण
आवारागर्द की डायरी - यात्रा संस्मरण
खत इंशा जी के - पत्र संकलन
उर्दू की आखिरी किताब - हास्य व्यंग्य
इंशा जी का अंतकाल 11 जनवरी 1978 को हुआ।
सुनिये इंशा जी का गीत "ये बातें झूठी बातें हैं" गुलाम अली के स्वर में
इब्न-ए-इंशा का गीत "सब माया है" सलमान अलवी के स्वर में
इब्न-ए-इंशा की कहानी "बहादुर अल्लाह दित्ता" ज़िया मोहिउद्दीन की आवाज़ में
.
===========================================
सम्बन्धित कड़ियाँ
===========================================
* हम रात बहुत रोये - 15 जून
* कल चौदहवीं की रात थी - जगजीत सिंह
* सब माया है - सलमान अलवी
* यह बच्चा कैसा बच्चा है
वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्रा कुमारी चौहान
Posted On रविवार, 12 जून 2011 at by Smart Indian![]() |
Dr. Mridul Kirti - डॉ. मृदुल कीर्ति |
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची पश्चिम भू-नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत?
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग,
वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग,
हैं वीर वेश में किन्तु कन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भर रही कोकिला इधर तान,
मारू बाजे पर उधर गान,
है रंग और रण का विधान,
मिलने आए हैं आदि अंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
गल बाहें हों या हो कृपाण,
चल चितवन हो या धनुषबाण,
हो रस विलास या दलित त्राण,
अब यही समस्या है दुरंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
कह दे अतीत अब मौन त्याग
लंके तुझमें क्यों लगी आग?
ऐ कुरुक्षेत्र! अब जाग जाग,
बतला अपने अनुभव अनन्त!
वीरों का कैसा हो वसंत?
हल्दी घाटी के शिला खंड,
ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड,
राणा सांगा का कर घमंड,
दे जगा आज स्मृतियां ज्वलंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भूषण अथवा कवि चन्द नहीं,
बिजली भर दे वह छंद नहीं,
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं,
फिर हमें बतावे कौन हंत!
वीरों का कैसा हो वसंत?
सम्बन्धित कड़ियाँ
===========================================
* सुभद्रा कुमारी चौहान - विकिपीडिया
* वीरों का कैसा हो वसंत - शब्द
* सुभद्रा कुमारी चौहान - सेनानी कवयित्री की पुण्यतिथि
* 1857 की मनु - झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
* डॉ. मृदुल कीर्ति
* मृदुल कीर्ति - कविता कोश
* डॉ॰ मृदुल कीर्ति का साक्षात्कार
कुन्दन लाल सहगल - ऐ दिल ए बेक़रार झूम - शाहजहाँ (1946)
Posted On शनिवार, 4 जून 2011 at by Smart Indianये लुका-छिपी क्यों? कन्नामुची येन्नडा?
Posted On शनिवार, 28 मई 2011 at by Smart Indianऐश्वर्य राय पर फिल्मांकित यह मधुर गीत चित्रा और डॉ येसुदास के दैवी स्वर में है। वैरामुत्थु के शब्दों पर राजीव मेनन की कोरियोग्राफी और ए आर रहमान का संगीत तमिल फिल्म कन्दुकोन्देन कन्दुकोन्देन में।
=================================
सम्बंधित कड़ियाँ
=================================
* फिल्म मौन रागम (1985) की समीक्षा
* ऐश्वर्य राय - कन्नामुची येन्नडा विडियो
रथवान - एक प्रेरक गीत
Posted On शनिवार, 16 अप्रैल 2011 at by Smart Indianरचना क्या पूरा जीवन दर्शन ही है।
![]() |
शर्मा दम्पत्ति |
हम रथवान, ब्याहली रथ में,
रोको मत पथ में
हमें तुम, रोको मत पथ में।
माना, हम साथी जीवन के,
पर तुम तन के हो, हम मन के।
हरि समरथ में नहीं, तुम्हारी गति हैं मन्मथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
![]() |
श्रीमती लावण्या शाह |
तुम तस्कर, पर-धन के गाहक
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी, तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
दूर पिया, अति आतुर दुलहन,
हमसे मत उलझो तुम इस क्षण।
अरथ न कुछ भी हाथ लगेगा, ऐसे अनरथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह पथ के इति-अथ में!
हमें तुम, रोको मत पथ में।
शशिमुख पर घूँघट पट झीना
चितवन दिव्य-स्वप्न-लवलीना,
दरस-आस में बिन्धा हुआ मन-मोती है नथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम रथवान ब्याहली रथ में,
हमें तुम, रोको मत पथ में।
--<>--
यदि किसी कारणवश आप इस रचना को सुन नहीं पा रहे हैं तो यहाँ से डाउनलोड कर लीजिये।
===========================================
सम्बन्धित कड़ियाँ
===========================================
* लावण्या शाह - विकिपीडिया
* लावण्या शाह - कविता कोश
* पण्डित नरेन्द्र शर्मा - कविता कोश
* विविध भारती
जीवन क्या है कोई न जाने [संगीतकार के स्वर में - 7]
Posted On सोमवार, 7 मार्च 2011 at by Smart Indianसंगीतकारों द्वारा गाये गये मधुर गीतों की शृंखला में आज का गीत है "इस रात की सुबह नहीं" से। यह फिल्म 1996 में सुधीर मिश्र के निर्देशन में बनी थी। संगीत दिया था तेलुगु फिल्मों के प्रसिद्ध संगीत-निर्देशक एम. एम. कीरवाणी उर्फ क्रीम ने। क्रीम अपनी फिल्मों में अक्सर स्वयम भी गाते रहे हैं। इस फिल्म में भी दो गीत क्रीम ने गाये हैं। आज हम सुनते हैं निदा फाज़ली का दार्शनिक गीत, जीवन क्या है।
जीवन क्या है कोई न जाने
गीत: निदा फाज़ली
स्वर और संगीत: एम. एम. कीरवाणी
फिल्म: इस रात की सुबह नहीं (1996)
========================
जीवन क्या है कोई न जाने, जीवन क्या है कोई न जाने
जो जाने पछ्ताये, जो जाने पछ्ताये, जो जाने पछ्ताये
जीवन क्या है कोई न जाने
माटी ही फूलों में छुपकर महके और मुस्काये
माटी ही फूलों में छुपकर महके और मुस्काये
माटी ही तलवार का लोहा बनकर खून बहाये
एक माटी मुझ में तुझ में रूप बदलती जाये
जो जाने पछ्ताये, जीवन क्या है कोई न जाने
माटी का पुतला ही माटी के पुतले को तोडे
माटी ही माटी से अपने रिश्ते-नाते जोडे
जो होता है, क्यों होता है, कोई भेद न पाये
जो जाने पछ्ताये, पछ्ताये
जीवन क्या है कोई न जाने, कोई न जाने
जीवन क्या है कोई न जाने
==================
सम्बंधित कड़ियाँ:
==================
1. रूठ के हमसे कहीं - जतिन पंडित
2. पास रहकर भी कोई - जतिन पंडित
3. किस्मत के खेल निराले - रवि
4. हारे भी तो बाज़ी हाथ नहीं
5. प्यार चाहिए - बप्पी लाहिड़ी
6. तुझे मैं ले के चलूँ - किशोर कुमार
आज हम बिछड़े हैं तो - शाहिद कबीर
Posted On बुधवार, 9 फ़रवरी 2011 at by Smart Indian
शाहिद कबीर का जन्म एक मई सन 1932 को नागपुर में हुआ था। उनकी कुछ पुस्तकों के नाम इस प्रकार हैं: कच्ची दीवारें (उपन्यास), चारों ओर (गज़ल संग्रह), मट्टी का मकान (गज़ल संग्रह), पहचान (गज़ल संग्रह)। उनका देहावसान 11 मई सन 2001 को हुआ।
आज हम बिछ्डे हैं तो कितने रंगीले हो गये
मेरी आंखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गये
कबकी पत्थर हो चुकी थीं मुंतज़िर आंखें मगर
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गये
जाने क्या अहसास साज़े-हुस्न की तारों में था
जिनको छूते ही मेरे नगमे रसीले हो गये
अब कोई उम्मीद है "शाहिद" न कोई आरज़ू
आसरे टूटे तो जीने के वसीले हो गये
आज हम बिछ्डे हैं तो कितने रंगीले हो गये
मेरी आंखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गये