विदा भूपेन हज़ारिका

महान संगीतकार भूपेन हज़ारिका
संगीत प्रेमियों के लिये एक दुखद दिन। महान संगीतकार, गायक, कवि, गीतकार और फिल्म निर्माता भूपेन हज़ारिका ने आज शनिवार 5 नवम्बर 2011 को सायं 4:30 बजे मुम्बई के कोकिलाबेन धीरुभाई अम्बानी हस्पताल में अंतिम श्वास लिया। उनकी तबियत जून मास से ही गिर रही थी और तभी उन्हें चिक्त्सालय लाया गया था। उन्हें सांस लेने में कठिनाई थी और वे डायलिसिस पर भी थे। 23 अक्टूबर को उन्हें न्यूमोनिया पाया गया और तब से उनकी तबियत लगातार गिरती रही।

पद्म भूषण व दादा साहेब फ़ाल्के जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित भूपेन हज़ारिका 8 सितम्बर 1926 को गुवाहाटी में जन्मे थे। 1939 में उन्होंने असमी भाषा की फ़िल्म इन्द्रामती में एक गीत गाया था। उनका नवीनतम गायन फ़िल्म ‘गांधी टू हिटलर’ में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन ‘वैश्नव जन’ था।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षित और 1952 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से पीएचडी की उपाधि प्राप्त हज़ारिका ने भारत में प्रौढ शिक्षा में दृश्य-श्रव्य तकनीक के प्रयोग पर थीसिस प्रस्तुत की थी। वे असम संस्कृति और लोकसंगीत के अच्छे जानकार माने जाते रहे है।

दिवंगत आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए प्रस्तुत है उनके संगीत निर्देशन में 1974 की फ़िल्म आरोप का एक लोकप्रिय गीत लता मंगेशकर व किशोर कुमार के स्वर में

नयनों में दर्पण है, दर्पण में कोई, देखूं जिसे सुबहो शाम

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* भूपेन हजारिका की जीवनी - रेडियोवाणी पर