जीवन क्या है कोई न जाने [संगीतकार के स्वर में - 7]


संगीतकारों द्वारा गाये गये मधुर गीतों की शृंखला में आज का गीत है "इस रात की सुबह नहीं" से। यह फिल्म 1996 में सुधीर मिश्र के निर्देशन में बनी थी। संगीत दिया था तेलुगु फिल्मों के प्रसिद्ध संगीत-निर्देशक एम. एम. कीरवाणी उर्फ क्रीम ने। क्रीम अपनी फिल्मों में अक्सर स्वयम भी गाते रहे हैं। इस फिल्म में भी दो गीत क्रीम ने गाये हैं। आज हम सुनते हैं निदा फाज़ली का दार्शनिक गीत, जीवन क्या है।



जीवन क्या है कोई न जाने
गीत: निदा फाज़ली
स्वर और संगीत: एम. एम. कीरवाणी
फिल्म: इस रात की सुबह नहीं (1996)
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जीवन क्या है कोई न जाने, जीवन क्या है कोई न जाने
जो जाने पछ्ताये, जो जाने पछ्ताये, जो जाने पछ्ताये
जीवन क्या है कोई न जाने

माटी ही फूलों में छुपकर महके और मुस्काये
माटी ही फूलों में छुपकर महके और मुस्काये
माटी ही तलवार का लोहा बनकर खून बहाये
एक माटी मुझ में तुझ में रूप बदलती जाये
जो जाने पछ्ताये, जीवन क्या है कोई न जाने

माटी का पुतला ही माटी के पुतले को तोडे
माटी ही माटी से अपने रिश्ते-नाते जोडे
जो होता है, क्यों होता है, कोई भेद न पाये
जो जाने पछ्ताये, पछ्ताये
जीवन क्या है कोई न जाने, कोई न जाने
जीवन क्या है कोई न जाने

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