रवि के स्वर में [संगीतकार के स्वर में - ३]

१९६९ की फिल्म एक फूल दो माली अपने समय में बहुत पसंद की गयी थी. प्रसिद्ध संगीतकार रवि के निर्देशन में उसके गीत आज भी सुने जाते हैं. इस फिल्म में रवि ने एक गीत स्वयं गाया था. मुझे काफी अच्छा लगता था. आपके साथ बाँट रहा हूँ, उम्मीद है पसंद आयेगा. "किस्मत के खेल निराले" के गीतकार हैं प्रेम धवन.



वैसे जो लोग हिंदी फिल्म संगीत पटल से रवि की अनुपस्थिति से अप्रसन्न हैं उन्हें यह जानकार खुशी होगी कि हिन्दी फिल्मों के बाद रवि ने दक्षिण की कई फिल्मों में संगीत दिया है. कुछ झलकियाँ बाद में कभी इसी ब्लॉग पर आ सकती हैं.
सम्बंधित कड़ियाँ:

8 comments:

  1. Udan Tashtari Says:

    अच्छा लगा रवि की आवाज में यह गीत सुन कर.

  2. Harshad Jangla Says:

    Never heard this song. Thanx a lot for sharing.

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

  3. A.G.Krishnan Says:

    Melodious

  4. बेनामी Says:

    ये गाना मधुर है,इसके बोल भी बड़े प्यारे है
    गानों को दीवानगी कि हद तक पसंद करने वालों में हूँ मैं ,पर...........पहली बार मालूम हुआ कि ये गाना 'रविजी' ने गया था.
    बरसों बाद इस गाने को सुन अच्छा लगा.
    थेंक्स

  5. ज्योति सिंह Says:

    madhur geet ke saath jaankaari bhi ,bahut sundar

  6. नीलम शर्मा 'अंशु' Says:

    रवि साहब का गाया यह गीत मैंने कई बार रेडियो पर बजाया है और जतिन साहब का रूठ कर हमसे भी मुझे बहुत प्यारा लगता है,इसे भी अपने बजाती हूं। जतिन साहब का दूसरा गीत पास रहकर भी कभी फुर्सत में ज़रूर सुनूंगी। वैसे मैंने यह पहले कभी सुना नहीं या फिर गौर नहीं किया। इस फि्ल्म के कलाकारों के नाम भी बताएं।

    - नीलम शर्मा 'अंशु'

  7. अजित वडनेरकर Says:

    अरे....दर्जनों बार यह नग़्मा सुना गया, मगर एक बार भी यह जानने की इच्छा नहीं हुई कि इसे गाया किसने है।
    आज आपके सौजन्य से जाना। बहुत शुक्रिया....

  8. Archana Chaoji Says:

    सुना तो था............पर मालूम नहीं था किसने गाया..........बहुत दिनों बाद आज फ़िर से सुनकर अच्छा लगा...आभार..