रामनवमी की शुभकामनायें!

पंडित नरेन्द्र शर्मा रचित भावमय भजन लता मंगेशकर और पंडित भीमसेन जोशी के सुन्दर स्वरों में:

राम का गुणगान करिये
राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये, ध्यान धरिये
राम का ...

राम के गुण गुण चिरंतन
राम गुण सुमिरन रतन धन
मनुजता को कर विभूषित, मनुज को धनवान करिए, ध्यान धरिये
राम का गुणगान करिये
राम का ...

सगुण ब्रह्म स्वरूप सुन्दर
सुजल रंजन रूप सुखकर
सुजल रंजन रूप सुखकर
राम आत्माराम, आत्माराम का सम्मान करिए, ध्यान धरिये
राम का गुणगान करिये
राम का ...


जय गणेश, जय गणेश - जगजीत सिंह



होली की शुभकामनायें!


धरती है लाल आज अम्बर है लाल, उड़ने दे गोरी गालों का गुलाल
(फ़िल्म नवरंग से एक प्रसिद्ध होली गीत)




शब्दों का जंजाल बड़ा लफ़ड़ा होता है
कवि सम्मेलन दोस्त बड़ा झगड़ा होता है
मुशायरों के सेरों पर रगड़ा होता है
पैसे वाला शेर बड़ा तगड़ा होता है
(फ़िल्म नवरंग से एक हास्य गीत)


सादर श्रद्धांजलि - पण्डित नरेन्द्र शर्मा

जन्म: २८ फरवरी १९१३; ग्राम जहांगीरपुर (खुर्जा), उत्तर प्रदेश 
अवसान: ११ फरवरी १९८९; मुम्बई, महाराष्ट्र 

नील लहरों के पार, 
लगी है चीन देश मे आग, 
जाग रे हिन्दुस्तानी जाग 
~ पण्डित नरेन्द्र शर्मा 


अल्पायु से ही साहित्यिक रचनायें करते हुए पंडित नरेन्द्र शर्मा ने 21 वर्ष की आयु में पण्डित मदन मोहन मालवीय द्वारा प्रयाग में स्थापित साप्ताहिक "अभ्युदय" से अपनी सम्पादकीय यात्रा आरम्भ की। काशी विद्यापीठ में हिन्दी व अंग्रेज़ी काव्य के प्राध्यापक पद पर रहते हुए 1940 में वे ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रशासन विरोधी गतिविधियों के लिये गिरफ़्तार कर लिये गये और 1943 में मुक्त होने तक वाराणसी, आगरा और देवली में विभिन्न कारागारों में शचीन्द्रनाथ सान्याल, सोहनसिंह जोश, जयप्रकाश नारायण और सम्पूर्णानन्द जैसे ख्यातिनामों के साथ नज़रबन्द रहे और 19 दिन तक अनशन भी किया। जेल से छूटने पर उन्होंने अनेक फ़िल्मों में गीत लिखे और फिर 1953 से आकाशवाणी से जुड़ गये। इस बीच उनका लेखनकार्य निर्बाध चलता रहा।

11 मई 1947 को मुम्बई में उनका विवाह सुशीलाजी से हुआ और परिवार में तीन पुत्रियों व एक पुत्र का जन्म हुआ जिनमें से आदरणीय लावण्या जी का नाम तो हिन्दी ब्लॉगजगत में सभी ने सुना है।  (संलग्न चित्र में पण्डित नरेन्द्र शर्मा के विवाह के अवसर पर प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पंत की उपस्थिति दिख रही है।)

विविध भारती कार्यक्रम के नामकरण की बात हो या दिल्ली एशियाड के स्वागत गीत की या टीवी शृंखला महाभारत की परिकल्पना और दिग्दर्शन की, पण्डित जी का स्पर्श आज भी किसी न किसी रूप में हमारे साथ है। आज उनके प्रयाणदिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि!

 
1971 की फ़िल्म "फिर भी" से पंडित जी का एक दुर्लभ गीत, मन्ना डे के स्वर में
(आभार यूट्यूब व MrMANNADEY)

ज्योति कलश छलके
(पण्डित नरेन्द्र शर्मा)

ज्योति कलश छलके
हुए गुलाबी, लाल सुनहरे

रंग दल बादल के
ज्योति कलश छलके

घर आंगन वन उपवन उपवन
करती ज्योति अमृत के सींचन
मंगल घट ढल के
मंगल घट ढल के 
ज्योति कलश छलके

पात पात बिरवा हरियाला
धरती का मुख हुआ उजाला
सच सपने कल के
सच सपने कल के
ज्योति कलश छलके

ऊषा ने आँचल फैलाया
फैली सुख की शीतल छाया
नीचे आँचल के
नीचे आँचल के 
ज्योति कलश छलके

ज्योति यशोदा धरती मैया
नील गगन गोपाल कन्हैया
श्यामल छवि झलके
श्यामल छवि झलके
ज्योति कलश छलके

अम्बर कुमकुम कण बरसाये
फूल पँखुड़ियों पर मुस्काये
बिन्दु तुहिन जल के
बिन्दु तुहिन जल के
ज्योति कलश छलके

* सम्बन्धित कड़ियाँ *
* आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगें ~ लावण्या जी
* पण्डित नरेन्द्र शर्मा की ओजस्वी कविता - रथवान
* पंडित नरेन्द्र शर्मा - कविता कोश पर

मदिरा ही मदिरा तेरे बदन में - फ़िल्म आंगन (1973)


आशा भोसले और मुकेश के सम्मिलित स्वरों में सुनिये ये मधुर गीत, संगीत सोनिक ओमी का और शब्द इन्दीवर के