इब्न ए इंशा के जन्मदिन पर
Posted On मंगलवार, 14 जून 2011 at by Smart Indianसब माया है, सब चलती फिरती छाया है
तेरे इश्क़ में हमने जो खोया है जो पाया है
जो तुमने कहा और फैज़ ने जो फरमाया है
सब माया है, सब माया है।
आधुनिक कवियों में इब्न-ए-इंशा की रचनायें मुझे बहुत प्रिय हैं। अगर आज वे ज़िन्दा होते तो मैं एक सवाल ज़रूर पूछता कि जिन्ना जैसा संकीर्ण और स्वार्थी राजनीतिज्ञ पाकिस्तान गया तो गया, इंशा जैसे कवि क्या सोचकर पाकिस्तान गये? रेडिओ पाकिस्तान की नौकरी? कारण जो भी हो, उनके इस व्यक्तिगत निर्णय से उनकी रचनाओं की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पडता। हिन्दी (या उर्दू) के इस महान रचनाकार का जन्म फिल्लौर (पंजाब) में 15 जून 1927 को हुआ था।
उन्होने काव्य और गद्य दोनों ही लिखे और खूब लिखे। उनकी भाषा अरबी फारसी से भरी हुई नक़ली और किताबी उर्दू न होकर अमीर खुसरो की हिन्दी और हिन्दवी की याद दिलाने वाली वह देशज उर्दू भाषा है जो हर उस व्यक्ति को सहज ही अपनी लगेगी जिसकी मातृभाषा उर्दू (या हिन्दी) है। इतनी मधुर और काव्यमयी उर्दू कि आपको लश्करी ज़ुबान का अक्खडपन ढूंढे नहीं मिलेगा।
इंशा का वास्तविक नाम शेर मुहम्मद खान था। उनकी रचनाओं में निम्न के नाम उल्लेखनीय हैं:
इस बस्ती के इक कूचे में - काव्य संग्रह
चान्द नगर - काव्य संग्रह
नगरी नगरी फिरा मुसाफिर - यात्रा संस्मरण
आवारागर्द की डायरी - यात्रा संस्मरण
खत इंशा जी के - पत्र संकलन
उर्दू की आखिरी किताब - हास्य व्यंग्य
इंशा जी का अंतकाल 11 जनवरी 1978 को हुआ।
सुनिये इंशा जी का गीत "ये बातें झूठी बातें हैं" गुलाम अली के स्वर में
इब्न-ए-इंशा का गीत "सब माया है" सलमान अलवी के स्वर में
इब्न-ए-इंशा की कहानी "बहादुर अल्लाह दित्ता" ज़िया मोहिउद्दीन की आवाज़ में
.
===========================================
सम्बन्धित कड़ियाँ
===========================================
* हम रात बहुत रोये - 15 जून
* कल चौदहवीं की रात थी - जगजीत सिंह
* सब माया है - सलमान अलवी
* यह बच्चा कैसा बच्चा है
तेरे इश्क़ में हमने जो खोया है जो पाया है
जो तुमने कहा और फैज़ ने जो फरमाया है
सब माया है, सब माया है।
आधुनिक कवियों में इब्न-ए-इंशा की रचनायें मुझे बहुत प्रिय हैं। अगर आज वे ज़िन्दा होते तो मैं एक सवाल ज़रूर पूछता कि जिन्ना जैसा संकीर्ण और स्वार्थी राजनीतिज्ञ पाकिस्तान गया तो गया, इंशा जैसे कवि क्या सोचकर पाकिस्तान गये? रेडिओ पाकिस्तान की नौकरी? कारण जो भी हो, उनके इस व्यक्तिगत निर्णय से उनकी रचनाओं की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पडता। हिन्दी (या उर्दू) के इस महान रचनाकार का जन्म फिल्लौर (पंजाब) में 15 जून 1927 को हुआ था।
उन्होने काव्य और गद्य दोनों ही लिखे और खूब लिखे। उनकी भाषा अरबी फारसी से भरी हुई नक़ली और किताबी उर्दू न होकर अमीर खुसरो की हिन्दी और हिन्दवी की याद दिलाने वाली वह देशज उर्दू भाषा है जो हर उस व्यक्ति को सहज ही अपनी लगेगी जिसकी मातृभाषा उर्दू (या हिन्दी) है। इतनी मधुर और काव्यमयी उर्दू कि आपको लश्करी ज़ुबान का अक्खडपन ढूंढे नहीं मिलेगा।
इंशा का वास्तविक नाम शेर मुहम्मद खान था। उनकी रचनाओं में निम्न के नाम उल्लेखनीय हैं:
इस बस्ती के इक कूचे में - काव्य संग्रह
चान्द नगर - काव्य संग्रह
नगरी नगरी फिरा मुसाफिर - यात्रा संस्मरण
आवारागर्द की डायरी - यात्रा संस्मरण
खत इंशा जी के - पत्र संकलन
उर्दू की आखिरी किताब - हास्य व्यंग्य
इंशा जी का अंतकाल 11 जनवरी 1978 को हुआ।
सुनिये इंशा जी का गीत "ये बातें झूठी बातें हैं" गुलाम अली के स्वर में
इब्न-ए-इंशा का गीत "सब माया है" सलमान अलवी के स्वर में
इब्न-ए-इंशा की कहानी "बहादुर अल्लाह दित्ता" ज़िया मोहिउद्दीन की आवाज़ में
.
===========================================
सम्बन्धित कड़ियाँ
===========================================
* हम रात बहुत रोये - 15 जून
* कल चौदहवीं की रात थी - जगजीत सिंह
* सब माया है - सलमान अलवी
* यह बच्चा कैसा बच्चा है
इब्न-ए-इंशा की कई रचनाएं पढ़ी हैं...एक आलेख में पढ़ा था कि वे ,एक बार वे भारत आए थे तो एक नज़्म लिखी थी..."मैं तुमको याद हूँ..गंगा जी... जमुना जी..." मुझे 'इब्न-ए-इंशा ' के जिक्र से यही पंक्ति याद आती है.
उन्होंने पाकिस्तान जाते वक्त ,ये कब सोचा होगा कि पकिस्तान का वैसा हाल हो जाएगा...
शेर मुहम्मद खान "इब्न-ए-इंशा" से परिचित कराने के लिए साभार धन्यवाद्
आदरणीय श्री Smart Indian - स्मार्ट इंडियन जी,
शेर मुहम्मद खान "इब्न-ए-इंशा" से परिचित कराने के लिए आभार
beautiful post
thanks for short info esha
SHEIKH MUHAMMAD KHAN urf IBN-E-INSHA Ji ke vishay mein pahli baar jaana.. Sir,Bahut-bahut shukriya aapka..