रथवान - एक प्रेरक गीत
Posted On शनिवार, 16 अप्रैल 2011 at by Smart Indianप्राख्यात कवि पण्डित नरेन्द्र शर्मा की तेजस्वी रचना सुनिये श्रीमती लावण्या शाह के मधुर स्वर में। अनाचार का प्रखर विरोध सतत करते हुए भी शिष्टता कैसे बनाये रखी जा सकती है, इसका अनन्य उदाहरण है उपरोक्त रचना।
रचना क्या पूरा जीवन दर्शन ही है।
रथवान
हम रथवान, ब्याहली रथ में,
रोको मत पथ में
हमें तुम, रोको मत पथ में।
माना, हम साथी जीवन के,
पर तुम तन के हो, हम मन के।
हरि समरथ में नहीं, तुम्हारी गति हैं मन्मथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम हरि के धन के रथ-वाहक,
तुम तस्कर, पर-धन के गाहक
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी, तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
दूर पिया, अति आतुर दुलहन,
हमसे मत उलझो तुम इस क्षण।
अरथ न कुछ भी हाथ लगेगा, ऐसे अनरथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह पथ के इति-अथ में!
हमें तुम, रोको मत पथ में।
शशिमुख पर घूँघट पट झीना
चितवन दिव्य-स्वप्न-लवलीना,
दरस-आस में बिन्धा हुआ मन-मोती है नथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम रथवान ब्याहली रथ में,
हमें तुम, रोको मत पथ में।
--<>--
यदि किसी कारणवश आप इस रचना को सुन नहीं पा रहे हैं तो यहाँ से डाउनलोड कर लीजिये।
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* लावण्या शाह - विकिपीडिया
* लावण्या शाह - कविता कोश
* पण्डित नरेन्द्र शर्मा - कविता कोश
* विविध भारती
रचना क्या पूरा जीवन दर्शन ही है।
शर्मा दम्पत्ति |
हम रथवान, ब्याहली रथ में,
रोको मत पथ में
हमें तुम, रोको मत पथ में।
माना, हम साथी जीवन के,
पर तुम तन के हो, हम मन के।
हरि समरथ में नहीं, तुम्हारी गति हैं मन्मथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
श्रीमती लावण्या शाह |
तुम तस्कर, पर-धन के गाहक
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी, तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
दूर पिया, अति आतुर दुलहन,
हमसे मत उलझो तुम इस क्षण।
अरथ न कुछ भी हाथ लगेगा, ऐसे अनरथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह पथ के इति-अथ में!
हमें तुम, रोको मत पथ में।
शशिमुख पर घूँघट पट झीना
चितवन दिव्य-स्वप्न-लवलीना,
दरस-आस में बिन्धा हुआ मन-मोती है नथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम रथवान ब्याहली रथ में,
हमें तुम, रोको मत पथ में।
--<>--
यदि किसी कारणवश आप इस रचना को सुन नहीं पा रहे हैं तो यहाँ से डाउनलोड कर लीजिये।
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* लावण्या शाह - विकिपीडिया
* लावण्या शाह - कविता कोश
* पण्डित नरेन्द्र शर्मा - कविता कोश
* विविध भारती
Wonderful poem, nicely read.
Byahalee means wedded..Right?
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
हर्षद जी, आपकी बात सही है, यहाँ ब्याहली का शाब्दिक अर्थ विवाहिता ही है।
कहीं कोई तकनीकी चूक है। कैसे सुनें।
विष्णु जी,
यदि प्लेयर न दिखे तो अक्सर पेज को रिफ्रैश/रिलोड करने से वह दिखने लगता है. फिर भी काम न बने तो इस गीत को निम्न लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है:
http://www.divshare.com/download/14586334-6a4
सुन्दर पोस्ट के लिए
बधाई
सुन्दर पोस्ट के लिए धन्यवाद|
सुन्दर पोस्ट
लावण्यादी की मीठी आवाज़ में पंडितजी का गीत बहुत मीठा लगा...आभार...
बहुत परमानंद दिला दिया सर। क्या कहना। हमें तुम रोको मत पथ में। वाह वाह।
जीवन-मूल्यों और दर्शन से
परिचित करवाते हुए शब्द
गीत बन कर और भी मुखर हो उठे हैं
और लावण्या जी की मधुर संगीतमय वाणी तो
जैसे उनमें नव्प्रभाव संचारित कर रही है
अभिनन्दन स्वीकार करें .
बेहद अच्छा ब्लॉग. सुन्दर गीत,,,, पढ़ने और सुनने को. धन्यवाद.
आप मेरे ब्लॉग पर आये, धन्यवाद. आपने कहा की नक्शा गलत लगा दिया... पर मुझे लगता है की मैंने चीन का नक्शा ही लगाया है. उनका एक नक्शा विवादित भी है. हो सकता है वो लग गया हो. कोई त्रुटि है तो कृपया बताएं..
लावण्या जी की मीठी आवाज़ ने इस इस मधुर रचना को जिस सहजता से बोला है उसकी कोई मिसाल ंहजी ... आपका आभार है इस रचना के ऑडियो के लिए ...
शशिमुख पर घूँघट पट झीना
चितवन दिव्य-स्वप्न-लवलीना,
दरस-आस में बिन्धा हुआ मन-मोती है नथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम रथवान ब्याहली रथ में,
हमें तुम, रोको मत पथ में।
ek hi shabd hai adbhut .......
आज मेरे पापा जी और अम्मा के चित्रोँ के साथ , आपने मुझे , आपके सुन्दर लेखन से परिपूर्ण ब्लॉग पर स्थान देकर जो और अपनेपन का एहसास दिलाया है उसे किन शब्दों मे कहूं ? आप मेरे छोटे भाई हो , परिवार के सदस्य की भांति आप को मेरी हर छोटी बात अच्छी लगती है बहुत बहुत आभार सभी टिप्पणी रखनेवाले आगंतुक महानुभावों व साथियों को तहेदिल से शुक्रिया - मेरी प्रतिक्रया देर से लिखने के लिए क्षमा चाहती हूँ बहुत स्नेह के साथ अनुराग भाई व उनके परिवार के लिए मेरी मंगल कामना तथा स्नेहाशिष
- लावण्या
सुन्दर पोस्ट
आभार... विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
दूर पिया, अति आतुर दुलहन,
हमसे मत उलझो तुम इस क्षण।
अरथ न कुछ भी हाथ लगेगा, ऐसे अनरथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
aaj doosri baar padhne aai hoon is rachna ko bahut sundar rachna
bahut khoob....aapke blog par comment post nhi ho pate...din-o lag jate hai.
आभार आपका पंडित नरेंद्र शर्माजी का गीत ,साथ में संगीत ,सोने पे सुहागा ,जो न सुने निर्भागा .
suni achi lagi prerak kavitaa