भगवान तुझे मैं खत लिखता [संगीतकार के स्वर में 8]


संगीतकारों द्वारा गाये गये मधुर गीतों की शृंखला में आइये आज हम सुनते हैं राजा महदी अली खान की कलम से निकला दार्शनिक गीत, "भगवान तुझे मैं खत लिखता"।
आज का गीत "भगवान तुझे मैं खत लिखता" लिया गया है "मनचला" फिल्म से। 1953 में रिलीज़ हुई यह फिल्म जयंत देसाई के निर्देशन में बनी थी, संगीत दिया था प्रसिद्ध संगीत-निर्देशक चित्रगुप्त ने।

भगवान तुझे मैं खत लिखता
गीत: राजा महदी अली खाँ
स्वर और संगीत: चित्रगुप्त
फिल्म: मनचला (1953)





भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं
रो रो लिखता, हो रो रो लिखता जग की विपदा पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता ...

तुझे बुरा लगे या भला लगे तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं
तुझे बुरा लगे या भला लगे तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं
कुछ कहते हुए डर लगता है, यहाँ कुत्तों की कुछ कमी नहीं
मालिक तुझे सब समझाता पर तेरा पता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता ...

मेरे सर पे दुखों की गठरी है
मेरे सर पे दुखों की गठरी है रातों को नहीं मैं सोता हूँ
कहीं जाग उठें न पड़ोसी इसलिए ज़ोर से मैं नहीं रोता हूँ
तेरे सामने बैठ के मैं रोता, पर तेरा पता, पर तेरा पता  मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं

कुछ कहूँ तो दुनिया कहती है, आँसू न बहा, बकवास न कर
बकवास न कर, बकवास न कर
ऐसी दुनिया में मुझे रखके मालिक मेरा सत्यानास न कर, मालिक मेरा सत्यानास न कर
तेरे पास मैं खुद ही अ जाता, पर तेरा पता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं

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