मौसम आयेंगे जायेंगे - हुसैन बन्धु

पक्षियों के कलरव के बीच गुलाबी सर्दियों की गुनगुनी धूप में डैक पर बैठकर तसल्ली से हुसैन बन्धुओं को सुनना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव है। आप भी सुनिये मेरा पसन्दीदा गीत, "मौसम आयेंगे जायेंगे":


मौसम के बदलते रंग! यदि आपको गीतकार के बारे में कुछ जानकारी हो तो कृपया साझा अवश्य करें, आभार!

मौसम आयेंगे जायेंगे, हम तुम को भूल ना पायेंगे, मौसम आयेंगे जायेंगे!

जाड़ो की बहार जब आएगी
धूप आँगन में लहरायेगी
गुल-दोपहरी मुस्कायेगी
शाम आ के चराग़ जलायेगी
जब रात बड़ी हो जायेगी
और दिन छोटे हो जायेंगे
हम तुम को भूल ना पायेंगे।

जब गर्मी के दिन आयेंगे
तपती दोपहरें लायेंगे
सन्नाटे शोर मचाएंगे
गलियों में धूल उड़ायेंगे
पत्ते पीले हो जायेंगे
जब फूल सभी मुरझायेंगे
हम तुम को भूल ना पायेंगे।

जब बरखा की रूत आएगी
हरयाली साथ में लायेगी
जब काली बदली छायेगी
कोयल मल्हारें गायेगी
इक याद हमें तड़पायेगी
दो नैना नीर बहायेंगे
हम तुम को भूल न पायेंगे।

मौसम आयेंगे जायेंगे, हम तुम को भूल ना पायेंगे, मौसम आयेंगे जायेंगे।

14 comments:

  1. गिरिजेश राव, Girijesh Rao Says:

    सीधी सरल प्यारी सी रचना और उतनी ही उम्दा गायकी।
    धन्यवाद।

  2. naresh singh Says:

    बहुत ख़ूबसूरत गाजल है | इसके गीत कार का नाम हमें भी नहीं मालुम है जैसे ही पता चलता है आपको बताता हूँ |इन् के अन्य गीत सुनने है तो आपको मेरे ब्लॉग पर पधारना पडेगा |

  3. dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } Says:

    आनंद आ गया .

  4. सतीश पंचम Says:

    आनंदम्...आनंदम्।

  5. गोरबंध Says:

    ये क़लाम मरहूम शायर "वाली आसी" का है...

  6. Krishan Vrihaspati Says:

    ये क़लाम मरहूम शायर "वाली आसी" का है...

  7. Krishan Vrihaspati Says:

    ये क़लाम मरहूम शायर "वाली आसी" का है...

  8. Smart Indian Says:

    क़लाम के मरहूम शायर "वाली आसी" की जानकारी के लिये धन्यवाद, Krishan Vrihaspati जी

  9. आज की शायरी Says:

    गीतकार मुहम्मद अहमद हुसैन

  10. Unknown Says:

    दिल को छू जाने वाली ग़ज़ल है। अक्सर गुन गुनता हूं।

  11. बेनामी Says:

    Beautiful composition

  12. जयपाल सिंह Says:

    इस ग़ज़ल मे किन किन रागों का प्रयोग हुआ है

  13. जयपाल सिंह Says:

    इस ग़ज़ल मे किन किन रागों का प्रयोग हुआ है?

  14. बेनामी Says:

    इस ग़ज़ल का मुखड़ा और पहला अंतरा राग पहाड़ी में है
    दूसरा अंतरा राग पीलू है जिसमें गर्मी का जिक्र है और तीसरा अंतरा जिसमें बारिश का वर्णन है वो राग मिया मल्हार में है जो वर्षाकालिक राग है ।