मौसम आयेंगे जायेंगे - हुसैन बन्धु
Posted On रविवार, 21 नवंबर 2010 at by Smart Indianपक्षियों के कलरव के बीच गुलाबी सर्दियों की गुनगुनी धूप में डैक पर बैठकर तसल्ली से हुसैन बन्धुओं को सुनना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव है। आप भी सुनिये मेरा पसन्दीदा गीत, "मौसम आयेंगे जायेंगे":
मौसम के बदलते रंग! यदि आपको गीतकार के बारे में कुछ जानकारी हो तो कृपया साझा अवश्य करें, आभार!
मौसम आयेंगे जायेंगे, हम तुम को भूल ना पायेंगे, मौसम आयेंगे जायेंगे!
जाड़ो की बहार जब आएगी
धूप आँगन में लहरायेगी
गुल-दोपहरी मुस्कायेगी
शाम आ के चराग़ जलायेगी
जब रात बड़ी हो जायेगी
और दिन छोटे हो जायेंगे
हम तुम को भूल ना पायेंगे।
जब गर्मी के दिन आयेंगे
तपती दोपहरें लायेंगे
सन्नाटे शोर मचाएंगे
गलियों में धूल उड़ायेंगे
पत्ते पीले हो जायेंगे
जब फूल सभी मुरझायेंगे
हम तुम को भूल ना पायेंगे।
जब बरखा की रूत आएगी
हरयाली साथ में लायेगी
जब काली बदली छायेगी
कोयल मल्हारें गायेगी
इक याद हमें तड़पायेगी
दो नैना नीर बहायेंगे
हम तुम को भूल न पायेंगे।
मौसम आयेंगे जायेंगे, हम तुम को भूल ना पायेंगे, मौसम आयेंगे जायेंगे।
सीधी सरल प्यारी सी रचना और उतनी ही उम्दा गायकी।
धन्यवाद।
बहुत ख़ूबसूरत गाजल है | इसके गीत कार का नाम हमें भी नहीं मालुम है जैसे ही पता चलता है आपको बताता हूँ |इन् के अन्य गीत सुनने है तो आपको मेरे ब्लॉग पर पधारना पडेगा |
आनंद आ गया .
आनंदम्...आनंदम्।
ये क़लाम मरहूम शायर "वाली आसी" का है...
ये क़लाम मरहूम शायर "वाली आसी" का है...
ये क़लाम मरहूम शायर "वाली आसी" का है...
क़लाम के मरहूम शायर "वाली आसी" की जानकारी के लिये धन्यवाद, Krishan Vrihaspati जी
गीतकार मुहम्मद अहमद हुसैन
दिल को छू जाने वाली ग़ज़ल है। अक्सर गुन गुनता हूं।
Beautiful composition
इस ग़ज़ल मे किन किन रागों का प्रयोग हुआ है
इस ग़ज़ल मे किन किन रागों का प्रयोग हुआ है?
इस ग़ज़ल का मुखड़ा और पहला अंतरा राग पहाड़ी में है
दूसरा अंतरा राग पीलू है जिसमें गर्मी का जिक्र है और तीसरा अंतरा जिसमें बारिश का वर्णन है वो राग मिया मल्हार में है जो वर्षाकालिक राग है ।