रूठ के हमसे कहीं [संगीतकार के स्वर में - १]
Posted On सोमवार, 21 सितंबर 2009 at by Smart Indianहिन्दी फिल्मों में गायक-गायिका तो गाते ही हैं। यही काम है उनका। कभी कभी नायक-नायिका भी गा लेते हैं। नूतन से लेकर शबाना आज़मी तक, सुलक्षणा पंडित से लेकर सलमा आगा तक और श्वेत-श्याम अभिनेताओं से लेकर आमिर खान तक बहुत से अभिनेता-अभिनेत्री गाते रहे हैं।
गाने वालों की एक तीसरी श्रेणी भी है। और वह बनती है जब कि संगीतकार स्वयं ही गाते हैं। सचिन दा, हेमंत कुमार, रवि, रवीन्द्र जैन, जगजीत सिंह जैसे संगीतकारों को तो हमने खूब सुना है। आज सुनते हैं जतिन-ललित की जोडी वाले जतिन को "जो जीता वही सिकंदर" के इस कम प्रचलित गीत में। गीत के बोल हैं, "रूठ के हमसे कहीं ..."
रूठ के हमसे कहीं अरे नही हम कभी नही जायेगे:) बहुत सुंदर गीत सुनाने के लिये आप का धन्यवाद
गीत के लिये धन्यवाद और विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
विजयादशमी की बहुत-बहुत शुभकामनायें
ek achaa geet sunvaane ke liye
aur achhee jaankaari ke liye
aabhaar....
kabhi sangeetkaar Madan Mohan ji
ka gaya hua geet sunvaayiye
---MUFLIS---
वन्दना जी, मुफलिस जी और भाटिया जी, आप सभी को धन्यवाद!
दीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
पर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
आज का प्रश्न यही है
बही कह रही सही है
पर इस सबके बावजूद
थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
---------शुभकामनाऒं सहित
---------मौदगिल परिवार
सुन्दर ब्लॉग-सुन्दर प्रस्तुति बधाई
दीप सी जगमगाती जिन्दगी रहे
सुख-सरिता घर-मन्दिर में बहे
श्याम सखा श्याम
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deepawali
ki
dheron
shubhkaamnaaein