हरिशंकर परसाई - ऑडियो

मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है।  ~ हरिशंकर परसाई 
(22 अगस्त 1922 :: 10 अगस्त 1955)
हिन्दी साहित्य के शिरोमणि व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त, 1922 को होशंगाबाद जिले के जमनिया ग्राम में हुआ था। वे सही अर्थों में हिन्दी के पहले व्यंग्यकार कहे जाते हैं। नागपूर विश्वविद्यालय से अङ्ग्रेज़ी में एमए और व्यवसाय से अध्यापक, परसाई जी एक अल्पकालीन साहित्यिक पत्रिका वसुधा के संस्थापक और संपादक रहे थे। उन्होने नियमित स्तम्भ और पुस्तकें लिखीं हैं। "विकलांग श्रद्धा का दौर" के लिए उन्हें 1982 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

हरिशंकर परसाई ने 18 वर्ष की उम्र में जंगल विभाग में नौकरी आरंभ की। उसके बाद अल्पकाल के लिए खंडवा में अध्यापक कार्य किया। सन् 1941 से 1943 तक जबलपुर में स्पेस ट्रेनिंग कालेज में और 1943 से 1952 तक जबलपुर के मॉडल हाई स्कूल में अध्यापन कार्य किया। 1953 से 1957 तक निजी विद्यालयों में पढ़ाने के बाद स्वतंत्र लेखक बने। जबलपुर से 'वसुधा' नाम की साहित्यिक मासिकी निकाली, नई दुनिया में 'सुनो भई साधो', नई कहानियों में 'पाँचवाँ कॉलम', और 'उलझी-उलझी' तथा कल्पना में 'और अन्त में' इत्यादि के अतिरिक्त व्यंग्य, कहानियाँ, उपन्यास एवं निबंध लेखन किया। उनके व्यंग्य हमारे बीच पनप रही सामाजिक विसंगतियों को बेबाकी से सामने रखती है। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा रहा हो जो उनके व्यंग्य की दृष्टि से बच निकला हो। साहित्यिक जटिलता से मुक्त, उनकी भाषा वर्तमान समय के आम हिन्दी समाचार-पत्र पाठक की भाषा है।
* प्रकाशित रचनाएँ *
सम्पादन: वसुधा (मासिक)
कथा-संग्रह: हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे
लेख संग्रह: तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेइमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, पगडंडियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम एक उम्र से वाकिफ हैं
उपन्यास: रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज
रेडियो प्लेबैक इंडिया पर हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं के ऑडियो बनाने के सिलसिले में हमने समय-समय पर उनकी रचनाओं को भी सम्मिलित किया है जिनमें से कुछ यहाँ सूचीबद्ध हैं:
सुशीला (अर्चना चावजी)
ठिठुरता गणतन्त्र (अर्चना चावजी)
चौबे जी (अर्चना चावजी)
बाप बदल (अर्चना चावजी)
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एक मध्यमवर्गीय कुत्ता (देवेंद्र पाठक)
टॉर्च बेचने वाले (अमित तिवारी)
बोर (नितिन व्यास)
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ढपोलशंख मास्टर (अनुराग शर्मा)
चार बेटे (अनुराग शर्मा)
खेती (अनुराग शर्मा)
मुंडन (अनुराग शर्मा)
उखड़े खंभे (अनुराग शर्मा)
अश्लील (अनुराग शर्मा)
डिप्टी कलेक्टर (अनुराग शर्मा)
नया साल (अनुराग शर्मा)
ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड (अनुराग शर्मा)
बदचलन (अनुराग शर्मा)
अशुद्ध बेवक़ूफ़ (अनुराग शर्मा)
बेचारा भला आदमी (अनुराग शर्मा)
अपील का जादू (अनुराग शर्मा)
यस सर (अनुराग शर्मा)
बाबू की बदली (अनुराग शर्मा)

विनोबा भावे के गीता ऑडियो

संसार के सबसे बड़े भूदान के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे की पुण्यतिथि पर भाव स्मरण
आचार्य विनोबा भावे
(11 सितंबर 1895 - 15 नवंबर 1982)
विनोबा भावे के गीता प्रवचन ऑडियो निशुल्क उपलब्ध हैं
मराठी में सुनें (माधवी गणपुले)
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हिन्दी में सुनें (अनुराग शर्मा)
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गुजराती में सुनें (भीष्म देसाई)

हुतात्मा सरदार भगत सिंह का जन्मदिन

हुतात्मा भगत सिंह का जीवन सभी देशभक्त भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आज 28 सितंबर को उनके जन्मदिन के पावन अवसर पर एक स्मृति।
(जन्म: २७ सितम्बर १९०७, अवसान: २३ मार्च १९३१)
फिल्म: शहीद (1965)
संगीत: प्रेम धवन
गीत: पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल
स्वर: मुकेश, महेंद्र कपूर, राजेंद्र मेहता


मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला ओये, रंग दे बसंती चोला
माये रंग दे बसंती चोला

दम निकले इस देश की खातिर बस इतना अरमान है
एक बार इस राह में मरना सौ जन्मों के समान है
देख के वीरों की क़ुरबानी अपना दिल भी बोला
मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे

जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे
जिसे पहन झांसी की रानी मिट गई अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला, पहन के निकला
आज उसी को पहन के निकला, हम मस्तों का टोला
मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे