भगवान तुझे मैं खत लिखता [संगीतकार के स्वर में 8]
Posted On बुधवार, 7 मई 2014 at by Smart Indian
आज का गीत "भगवान तुझे मैं खत लिखता" लिया गया है "मनचला" फिल्म से। 1953 में रिलीज़ हुई यह फिल्म जयंत देसाई के निर्देशन में बनी थी, संगीत दिया था प्रसिद्ध संगीत-निर्देशक चित्रगुप्त ने।
भगवान तुझे मैं खत लिखता
गीत: राजा महदी अली खाँ
स्वर और संगीत: चित्रगुप्त
फिल्म: मनचला (1953)
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं
रो रो लिखता, हो रो रो लिखता जग की विपदा पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता ...
तुझे बुरा लगे या भला लगे तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं
तुझे बुरा लगे या भला लगे तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं
कुछ कहते हुए डर लगता है, यहाँ कुत्तों की कुछ कमी नहीं
मालिक तुझे सब समझाता पर तेरा पता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता ...
मेरे सर पे दुखों की गठरी है
मेरे सर पे दुखों की गठरी है रातों को नहीं मैं सोता हूँ
कहीं जाग उठें न पड़ोसी इसलिए ज़ोर से मैं नहीं रोता हूँ
तेरे सामने बैठ के मैं रोता, पर तेरा पता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं
कुछ कहूँ तो दुनिया कहती है, आँसू न बहा, बकवास न कर
बकवास न कर, बकवास न कर
ऐसी दुनिया में मुझे रखके मालिक मेरा सत्यानास न कर, मालिक मेरा सत्यानास न कर
तेरे पास मैं खुद ही अ जाता, पर तेरा पता, पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं खत लिखता, पर तेरा पता मालूम नहीं
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सम्बंधित कड़ियाँ:
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1. रूठ के हमसे कहीं - जतिन पंडित
2. पास रहकर भी कोई - जतिन पंडित
3. किस्मत के खेल निराले - रवि
4. हारे भी तो बाज़ी हाथ नहीं
5. प्यार चाहिए - बप्पी लाहिड़ी
6. तुझे मैं ले के चलूँ - किशोर कुमार
7. जीवन क्या है - एम एम कीरवानी
श्रद्धांजलि सुचित्रा सेन
Posted On मंगलवार, 21 जनवरी 2014 at by Smart Indian
सुचित्रा सेन उर्फ रमा दासगुप्ता (6 अप्रैल 1931 – 17 जनवरी 2014)
जा रे जा रे ओ माखनचोर
गीत: राजेन्द्र कृष्ण; संगीत: हेमंत कुमार
स्वर: लता मंगेशकर, मुहम्मद रफी; फिल्म: चम्पाकली (1957)
जा रे जा रे ओ माखनचोर
गीत: राजेन्द्र कृष्ण; संगीत: हेमंत कुमार
स्वर: लता मंगेशकर, मुहम्मद रफी; फिल्म: चम्पाकली (1957)
हिन्दी और उर्दू के महान कथाकार कृश्न चन्दर का जन्मदिन 23 नवंबर 1914
Posted On शनिवार, 23 नवंबर 2013 at by Smart Indian
हिन्दी और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक, पद्मभूषण से सम्मानित साहित्यकार श्री कृश्न चन्दर का जन्मदिन आज के दिन 23 नवंबर 1914 को वजीराबाद, ज़िला गूजरांवाला (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनका बचपन पुंछ (जम्मू और कश्मीर) में बीता। उन्होने अनेक कहानियाँ और उपन्यास लिखे हैं। उनके जीवनकाल में उनके बीस उपन्यास और 30 कथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके थे। उन्होने रेडियो नाटक और फिल्मी पटकथाएँ भी लिखीं। 1973 की प्रसिद्ध फिल्म मनचली के संवाद उन्ही के लिखे हुये थे। उनकी भाषा पर डोगरी और पहाड़ी का प्रभाव दिखता है। उनकी कहानी पर धरती के लाल (1946) और शराफत (1970) जैसी फिल्में बनीं। उनका निधन 8 मार्च 1977 को मुंबई में हुआ था। उस समय वे "बराए बतख़" नामक व्यंग्य की पहली पंक्ति लिख चुके थे।
1969 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उनका उर्दू उपन्यास, "एक गदहे की सरगुज़श्त" अपने समय में बहुत पसंद किया गया था। "एक गदहे की सरगुज़श्त" का वाचन रेडियो प्लेबैक इंडिया पर अनुराग शर्मा की आवाज़ में चार खंडों में सुना जा सकता है।
एक गधे की वापसी - 1
एक गधे की वापसी - 2
एक गधे की वापसी - 3
एक गधा नेफा में
उनकी प्रतिनिधि रचनाएँ निम्न हैं:
उपन्यास: एक गधे की आत्मकथा, एक वायलिन समुंदर के किनारे, एक गधा नेफ़ा में, तूफ़ान की कलियाँ, कार्निवाल, तूफ़ान की कलियाँ, एक गधे की वापसी, गद्दार, सपनों का क़ैदी, सफ़ेद फूल, तूफ़ान की कलियाँ, प्यास, यादों के चिनार, मिट्टी के सनम, रेत का महल, कागज़ की नाव, चाँदी का घाव दिल, दौलत और दुनिया, प्यासी धरती प्यासे लोग, पराजय, जामुन का पेड़
कहानी: साधु, पूरे चाँद की रात, पेशावर एक्सप्रेस
1969 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उनका उर्दू उपन्यास, "एक गदहे की सरगुज़श्त" अपने समय में बहुत पसंद किया गया था। "एक गदहे की सरगुज़श्त" का वाचन रेडियो प्लेबैक इंडिया पर अनुराग शर्मा की आवाज़ में चार खंडों में सुना जा सकता है।
एक गधे की वापसी - 1
एक गधे की वापसी - 2
एक गधे की वापसी - 3
एक गधा नेफा में
| बोलती कहानियाँ पर सुनें
यह तो कोमलांगियों की मजबूरी है कि वे सदा सुन्दर गधों पर मुग्ध होती हैं ~ पद्म भूषण कृश्न चन्दर (1914-1977) हर सप्ताह रेडियो प्लेबैक इंडिया पर सुनिए एक नयी कहानी मैं महज़ एक गधा आवारा हूँ। ( "एक गधे की वापसी" से एक अंश) |
उपन्यास: एक गधे की आत्मकथा, एक वायलिन समुंदर के किनारे, एक गधा नेफ़ा में, तूफ़ान की कलियाँ, कार्निवाल, तूफ़ान की कलियाँ, एक गधे की वापसी, गद्दार, सपनों का क़ैदी, सफ़ेद फूल, तूफ़ान की कलियाँ, प्यास, यादों के चिनार, मिट्टी के सनम, रेत का महल, कागज़ की नाव, चाँदी का घाव दिल, दौलत और दुनिया, प्यासी धरती प्यासे लोग, पराजय, जामुन का पेड़
कहानी: साधु, पूरे चाँद की रात, पेशावर एक्सप्रेस