कोई कहियो रे प्रभु आवन की
आवन की मनभावन की
वे नहिं आवें लिख नहिं भेजें
बाण पड़ी ललचावन की
ये दो नैण कह्यो नहिं मानै
नदियां बहै जैसे सावन की
कहा करूँ कछु नहिं बस मेरो
पांख नहीं उड़ जावन की
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे
चेरी भई तोरे दांवन की
(~ मीरा बाई)
आइये सुनें मीरा बाई का यह पद हुसेन बंधुओं के मधुर स्वर में
आवन की मनभावन की
वे नहिं आवें लिख नहिं भेजें
बाण पड़ी ललचावन की
ये दो नैण कह्यो नहिं मानै
नदियां बहै जैसे सावन की
कहा करूँ कछु नहिं बस मेरो
पांख नहीं उड़ जावन की
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे
चेरी भई तोरे दांवन की
(~ मीरा बाई)
आइये सुनें मीरा बाई का यह पद हुसेन बंधुओं के मधुर स्वर में
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