आज हम बिछड़े हैं तो - शाहिद कबीर

आज आपकी सेवा में प्रस्तुत है मेरी पसन्द का एक और गीत जिसे लिखा है शाहिद कबीर ने और स्वर है जगजीत सिंह का। विडिओ मिल गया यूट्यूब पर इसलिये ऑडिओ अप्लोड नहीं कर रहा हूँ। यह विडिओ भी दरअसल ऑडिओ ही है।

शाहिद कबीर का जन्म एक मई सन 1932 को नागपुर में हुआ था। उनकी कुछ पुस्तकों के नाम इस प्रकार हैं: कच्ची दीवारें (उपन्यास), चारों ओर (गज़ल संग्रह), मट्टी का मकान (गज़ल संग्रह), पहचान (गज़ल संग्रह)। उनका देहावसान 11 मई सन 2001 को हुआ।

आज हम बिछ्डे हैं तो कितने रंगीले हो गये
मेरी आंखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गये

कबकी पत्थर हो चुकी थीं मुंतज़िर आंखें मगर
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गये

जाने क्या अहसास साज़े-हुस्न की तारों में था
जिनको छूते ही मेरे नगमे रसीले हो गये

अब कोई उम्मीद है "शाहिद" न कोई आरज़ू
आसरे टूटे तो जीने के वसीले हो गये

आज हम बिछ्डे हैं तो कितने रंगीले हो गये
मेरी आंखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गये